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ritesh deo

Abstract

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ritesh deo

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जिंदगी

जिंदगी

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जिंदगी

सुबह का इंतजार

 करती है


रात

इसीलिए तो

जरूर ढलती है


बहुत किये

लोगों ने


रात में

रोशनी के उपाय


जिंदगी

क्यों 

अब भी

टिमटिमाती हुई

जलती है


तुम्हारे धोखे के

भरम में

न आयेंगे हम


लगाई आग में

न जल पायेंगे हम


जिंदगी

एक

बहती नदी 

का नाम है


संभल रहना

शैतानियत सारी

बहा ले जायेंगे हम


दिलोदिमाग में

घुमड़ रहे बादल


घने स्वार्थ के

जंगल में

छिप


कौन करता है

छल


जिंदगी

गरजते बादलों का भी नाम है


बिजली गिरेगी


बदलेगी तस्वीर--

---बात बिल्कुल साफ है


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