खाक होना
खाक होना
ऋतु, रंग, राग समय का है,
अभिमान तो तू ना कर जरा।
ये जरा ही है, कि तू रुक जरा,
सब सोच ले और झुक जरा।
कदम बढ़े तो तू बढ़ जरा,
कदम रुके तो तू रुक जरा,
ऋतु,रंग,राग समय का है,
अभिमान तो तू ना कर जरा।
ये जरा-मरण की ही बात है,
मिट्टी मिला, तू खाक है।
ऋतु, रंग, राग समय का है,
अभिमान तो तू ना कर जरा।
