"मुक्कमल "
"मुक्कमल "
हर चीज मुक्कमल है तेरे आरजू के इन्तहा पर,
तेरा धैर्य और संयम बयान करेंगे तेरे हालात को।
तू रोक न तेरे अंदाज बयानबाजी को,
मुक्कमल जहां की हसरत नसीब होगी तुझे वहीं से।
मुश्किल हालात तोड़ेंगे तुझे कतरा-कतरा,
तू नौसिखिया नहीं जो बिखर जाए झुककर इनसे।
टूटता तारा नहीं जो फिर से जुड़ न पाए तू,
सारा आकाश तेरे उड़ान को भी व्याकुल है।
परवरिश तेरी भी टूटते पत्थरों सी,
क्या पता इबारत का जंहा टिक जाए उसी पर।
