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"मुक्कमल "

"मुक्कमल "

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हर चीज मुक्कमल है तेरे आरजू के इन्तहा पर, 

तेरा धैर्य और संयम बयान करेंगे तेरे हालात को। 

तू रोक न तेरे अंदाज बयानबाजी को, 

मुक्कमल जहां की हसरत नसीब होगी तुझे वहीं से। 

मुश्किल हालात तोड़ेंगे तुझे कतरा-कतरा, 

तू नौसिखिया नहीं जो बिखर जाए झुककर इनसे। 

टूटता तारा नहीं जो फिर से जुड़ न पाए तू, 

सारा आकाश तेरे उड़ान को भी व्याकुल है। 

परवरिश तेरी भी टूटते पत्थरों सी, 

क्या पता इबारत का जंहा टिक जाए उसी पर। 


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More hindi poem from Dr Abhishek Kumar Srivastava(अपने रीति-रिवाजों, परंपराओं में विश्वास, पूर्वजों के मान-सम्मान के दृष्टीकोण से कार्यों का संपादन,जयप्रकाश नारायण जी एवं गुरुदेव टैगोर जी को मार्गदर्शक मानना। )

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