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"अजीब "

"अजीब "

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ऐसा मौसम तो देखा था, बर्षों पहले,

आज कुछ अजीब है न !

अजीब होते हैं अरमान, जो बीत जाए वही अच्छा लगता है,

अजीब होते हैं दास्तान, एक उम्र में जाने पर,

ये उम्र ही तो है जो एहसास कराता है,

रह-रह कर समय की पहचान कराता है।

कभी फुर्सत के पल, कभी उलझन के,

कभी यूँ खाली सी जिंदगी, कभी उम्मीदों की जिन्दगानी सी।

कभी बेपरवाह जिंदगी, कभी जिम्मेदारी भरी,

अजीब है, अजीब है, अजीब है न !

किसी की कहानी, किसी के लिए कहानी,

किसी के लिए हँसकर भूल जाने की रवानी ,

किसी के लिए पूरी जिन्दगानी ,

अजीब है, अजीब है, अजीब है न !


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