किसी की याद दिला रही है
किसी की याद दिला रही है
ढलती हुई शाम और
रात की तन्हाई
चाँद जो अपने चरम पर
दस्तक देता
परिन्दे जो गुनगुनाते हुई
पलायन कर गए
खामोशी जो चारों तरफ
पहल कर रही हो
अंगड़ाई लेती हुई वादियाँ
सिमटा आसमां जो चाँद के
दीदार को तत्पर है
बुझ गई है सूर्य की रौशनी
जल उठे हैं दीये
लालिमा जो तब्दील हो गई
अंधेरे में
फैल गया है सन्नाटा
जो गूँज गूँज कर निशाचरों को
आमंत्रण दे रहा हो
किसी के आने और किसी के
जाने का जो प्रमाण है
बच गया है तो सिर्फ घोर अंधेरा
जो अब बोल रहा है "रजनी "
का ठहराव यही है ..
रात्रि जो नींद को बुला रही है
किसी की याद दिला रही है।
