कुछ तो बदल रहा है
कुछ तो बदल रहा है
कुछ तो बदल रहा है
अपनों से अपनापन
यारों से यराना
मिट्टी की वो खुशबू
वो ठनकते बादल
वो बरसते सावन
कुछ तो बदल रहा है
सच से सच्चाई
रिश्तों में गहराई
लम्बी गहरी खाई
कुछ तो बदल रहा है
वो कंटीले रस्ते
जो कट जाये हस्ते हस्ते
वो मिट्टी की सुराही
या पगडण्डी के राही
कुछ तो बदल रहा है
वो कपड़ों का खिलौना
खेले चाहे दुनिया
मास्टर जी की पिटाई
मम्मी की कुटाई
कुछ तो बदल रहा है
वो सुरीले गाने
जिसके अलग थे अफ़साने
कुछ तो बदल रहा है
अपनों के मुख से बराई
रिश्तों की गहराई
दस लोगों का राशन
नेताओं के भाषण
कुछ तो बदल रहा है
सुबह की पढाई
घर के बगल का नाई
त्योहारों का रूप
ईश्वर के कई स्वरूप
कुछ तो बदल रहा है
पर्दे का सिनेमा
या मजदूर का पसीना
बात बात पर रोना
माँ के गोद में सोना
कुछ तो बदल रहा है
भाई से लड़ाई
वो मौसम की अंगड़ाई
बड़े लैंप की स्याही
कुछ तो बदल रहा है
अपने बच्चों का प्यार
या सत्ते में सरकार
चाहे फूल हो गुलाबी
या दिल के ताले की चाभी
फूलों की दूकान
मिठाई के पकवान
कुछ तो बदल रहा है
नए बदलते चेहरे
या उन पर रखे पहरे
कुछ तो बदल रहा है।