भोजपुरी कविता- बचावल ना गइल
भोजपुरी कविता- बचावल ना गइल
होत रहे ज़ोर सरेआम अबला
केहु मान बचावल ना गइल
ले लिहस कातिल जान
केहु पानी आँख बहावल ना गइल
जात धरम देख करे राजनित
ई केवन नित चले लागल
मर्यादा हिन्दी मुस्लिम एक समान
केहु ज्ञान बतावल ना गइल
मजहब पसंद के चाही
छिंक आई त हो हल्ला मचावे लगिहे
आपन सरकार सजात गइल इज्जत
केहु धरना लगावल ना गइल
मुजरिम गैर जात उनका मूह ना खुली
केवनों अबला जानो इज्जत चल जाय
केहु हल्ला मचावल ना गइल
बेहू बेटी के इज्जत से का मतलब
भोट मिली की ना मिली जरूरी बा
अइसन मतलबी बेईमान नेता
केहु लात से लतियावल ना गइल
जब जाई इज्जत आपन बहू बेटी के
देखिहे लोग उनकर कुदल फांदल
समाज के कलंक कल्लू
केहु बोटी बोटियावल ना गइल
औरत आबरु समान हिन्दू मुसलमान
मान बेटी स्वाभिमान देश के बात पते की
केहु साँच पतियावल ना गइल
बीच सड़क लूटा जाये इज्जत अबला
देखत रहे तमासा ई कइसन सरकार
पकड़ के मुजरिम बेड़ि में
केहु जेल धकियावल ना गइल।