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Sulakshana Mishra

Inspirational

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Sulakshana Mishra

Inspirational

भय

भय

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हैं आँखों में आँसू उसके

और अधरों पर है मुस्कान भी।

है दिल में उसके भय भी

और उसी दिल में है उसका अभिमान भी।

कर ललाट पर तिलक सिंदूरी

देती अपनी मौन स्वीकृति

आती है जब विदा की बारी।

भेज अपने प्रियतम को सीमा पर

अपने भय से वह कभी न हारी।

पल पल लड़ती है अपने ही भय से

भय नहीं इसको अपनी पराजय से।

है भय उसको एक दिन

अपने सुहाग के उजड़ जाने से।

पर संशय कदापि नहीं उसको

कि प्रतिबद्ध है उसका प्रियतम

अनगिनत स्त्रियों के सुहाग को बचाने से।

कब इसका भय, इसको डरा पाता है

सैनिक की वीर भार्या से तो,

खुद भय भी परास्त हो जाता है।



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