जरासी देर में..
जरासी देर में..
जरा सी देर में
मंज़र बदल जाता है
असल में सोचता है
इंसान जहां जाना
अंत में कहीं और ही
पहुंच जाता हैं।
क्योंकि
जरा सी देर में,
मंज़र बदल जाता है
आवश्यक उतना वक़्त जरुर ले सोचने
पर सही समय पे तू फ़ैसला कर
हाथ से तेरे छूट ना जाए कुछ किमती
तु आपने मन का यह दृढ़ निश्चय कर।
देरी के घाव बन न जाए कहीं उम्र भर के साथी
इन्हें हो सके उतना तू खुद से दूर ही रख।।
हाथ में पकड़ी रेत की तरह
हर लम्हा बीत जाता है
तभी तो
जरा सी देर में
मंज़र बदल जाता है।