प्रतिबिंब
प्रतिबिंब
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दुनिया के इस मानवी जंगल में
सूर्य के स्पष्ट एवं प्रखर किरणों सम
तू अपने शुद्ध विचारों से सत्य का मार्ग थामे चल..
फिर चाहे हो कभी घना अंधेरा ही क्यों ना
और झील का पानी हो कितना भी गहरा।
'तेरे भीतर बसी सच्चाई की रोशनी से'
पहचान सके तू खुद को सही
ऐसा निर्मल रख अपना प्रतिबिंब।