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Karuna Prajapati

Inspirational

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Karuna Prajapati

Inspirational

नारी की अभिलाषा

नारी की अभिलाषा

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हे पिता !

ना डर मुझसे, मान बढ़ाऊँगी तेरा सदा ।

मुझे न समझो भीड़ का हिस्सा, 

मैं तो हूँ अलहदा ।।

समझती हूँ अपनी हदों को ।

भरोसा रखो न तोडूँगी अपनी जदों को ।।

मेरी आदर्श, मेरी मार्गदर्शक, 

कल्पना चावला, लक्ष्मीबाई, माँ दुर्गा है ।।

नोच लूँगी हर बुरी नजर, 

तोडूँगी हर हाथ, 

जो मेरी अस्मत की ओर गर उठा ।।

पढ़ा -लिखा कर मुझे करो बड़ा ।

करुँगी सबका भला ।।


हे माता !

मेरी जननी, मुझे इस दुनिया में लाने के लिए, 

तेरे अहसान का मोल, 

चुका नहीं सकती ।

मेरे लिए किए है तूने जो त्याग, 

उसे भुला नहीं सकती ।।

नहीं है मेरी अभिलाषा स्वप्न सुंदरी, विश्व सुंदरी बनने की ।

बनूँ मैं डॉक्टर, वैज्ञानिक, इंजिनियर, 

दो मुझे भी आजादी मेरा कॅरियर चुनने की ।।


हे समाज !

मुझे मेरे आकर, बनावट, व रंग -रूप से मत तौलो ।

मैं भी हूँ इंसान, 

अपने मन को पुनः टटोलो ।।

मेरी अभिलाषा है समाज में ऐसे वातावरण की ।

जो मुझे दे समान अवसर, 

न चर्चा करे मेरे आवरण की ।।

मेरी खुलकर हँसने -बोलने को, 

मेरी चरित्रहीनता न समझो ।

बेटी के साथ बेटों को भी दे संस्कार, 

लड़कियों को छेड़ने में अपनी मर्दानगी न समझो ।।


 चंडी, दुर्गा, झाँसी की रानी, दुर्गावती, पद्मिनी नारी है ।

 घर में, रण में, जीवन के कण -कण में, 

मूर्त रूप साकारी है ।।

 जिसके अपमान से, यज्ञ विंध्वस होता, और सज जाता कुरुक्षेत्र, 

 ऐसी नारी से जब -जब लड़ी, तब -तब, 

दुनिया हारी है ।।



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