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Vijay Kumar parashar "साखी"

Inspirational

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Inspirational

खुद को बदलो

खुद को बदलो

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इन नजरों को बदलो नज़ारे बदल जाएंगे

खुद को बदलो दुनियावाले बदल जाएंगे


पूरी दुनिया को यूँ दोष देने से बेहतर है

खुद में सुधार कर, ये कौन सा कमतर है


शूलों में खुद को फूल बनाकर तो देख,

ये सारे शूल तेरी खुशबू में बदल जाएंगे


इन नज़रों को बदलो नज़ारे बदल जाएंगे

खुद को बदलो दुनियावाले बदल जाएंगे


यहां रोने-धोने से तेरा कुछ न होगा साखी

ख़ुद को बना ले तू यहां दीपक की बाती


खुद को शेर बना, जगवाले दहल जाएंगे

जुगनू सा दमक, ये जगवाले जल जाएंगे


अपनी कमजोरी ख़ुद पे हावी मत कर

अपनी आंसुओं से प्यास पूरी मत कर


खुद के हृदय को बना ले बस पत्थर,

कंकर टकराकर चकनाचूर हो जाएंगे


इन नज़रों को बदलो नज़ारे बदल जाएंगे

ख़ुद को बदलो दुनियावाले बदल जाएंगे


आंखों में ला तू सूर्य सी एक नई चमक,

तम में रहनेवाले कीड़े, खुद पिघल जाएंगे



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