माँ
माँ
जब बंद हो जाती हैं आँखें अँधेरा हो जाता है ,
माँ के दामन में अँधेरे में भी उजाला हो जाता है ,
जब रो दो तो गीत जाती है माँ ,
नींद न आये तो लोरियाँ सुनती है माँ ,
जब दुःख में रहो तो तुरंत समझ जाती है माँ ,
हंसने का मन न हो फिर भी हंसती है माँ ,
चोट अगर लग जाए मरहम लगाती है माँ ,
चुप कराने के लिए ख़ुद फिसल जाती है माँ,
दूर से कहीं आवाज़ तुम लगाओ ,
दौड़ी चली आती है माँ ,
हमारी गलतियों पर पर्दा डाल छिपाती है माँ ,
बारिश अगर तेज़ हो अपने पल्लू से छिपाती है माँ,
चाहे हो तेज़ धूप छतरी बन जाती है माँ ,
हमारे स्कूल के भारी बस्ते को उठती है माँ ,
पढ़ाई का वक़्त हो तो शिक्षक बन जाती है माँ ,
खेलने का समय हो दोस्त बन जाती है माँ ,
रूठ जाने पर प्यार से पुचकारती है माँ,
दूर चले जाने पर बहुत याद आती है माँ,
जब बंद हो जाती हैं आँखें अँधेरा हो जाता है ,
माँ के दामन में अँधेरे में भी उजाला हो जाता है।
