मेरी अधूरी ख्वाहिश
मेरी अधूरी ख्वाहिश
मेरी अधूरी ख्वाहिश,
ज़रा सी टूटी और बिखरी सी ख्वाहिश।
दरवाजों में कैद सी है जिंदगी,
इस दौरान ज़रा खामोश है जिंदगी,
खुले आसमान में मदहोश होकर उड़ना है,
खिड़की के बाहर उड़ते उन पंछियों की तरह मुझे भी उड़ना है।
मेरी अधूरी ख्वाहिश,
ज़रा सी टूटी और बिखरी सी ख्वाहिश।
होठों की वो हसी,
शोर से भरी वो गली,
ना जाने वो सब फिर कब वापस आए,
वो खिलखिलाता माहौल ना जाने फिर कब नज़र आए।
मेरी अधूरी ख्वाहिश,
ज़रा सी टूटी और बिखरी सी ख्वाहिश।
अभी अंतरा लिखा है उस गीत का मुखड़ा लिखना अभी बाकी है,
कोरे कागज़ पर अभी मेरी ख्वाहिशों का उतारना बाकी है,
नज़राने अजीब है इस दुनिया के
दुनिया के रिवाज़ समझना ही मेरी ख्वाहिश है।