गुम है वो यादें
गुम है वो यादें
खोया हूं एक अजीब सी तलाश में,
मेरे हाथ हुए है जख्मी टुकड़ों को जोड़ने में।
ज़रा सी धूल आंखों में गिर गई,
राहें ज़रा सी धुंधली हो गई,
एक सूखी रेत का तूफान दर्मियां है,
क्या हकीकत है क्या फसाना इस सोच में मन डूबा है।
खोया हूं एक अजीब सी तलाश में,
मेरे हाथ हुए है जख्मी टुकड़ों को जोड़ने में।
पूरा नहीं हुआ वो चित्र अभी अधूरा है,
ज़रा याद करने दो वो दास्तां शायद वो लम्हा आज भी अधूरा है,
उन हाथों की छाप दीवार पर आज भी है,
उन लम्हों के निशान कही तो आज भी है।
खोया हूं एक अजीब सी तलाश में,
मेरे हाथ हुए है जख्मी टुकड़ों को जोड़ने में।
ढूंढता हूं हर डिब्बे हर दराज में बीती उन यादों को,
कही तो रख कर भूला हूं मैं उन यादों को,
शायद वो यादें अब ना मिल पाए,
अगर वो निशानियां मिली तो शायद दिल बेसब्र हो जाए।
खोया हूं एक अजीब सी तलाश में,
मेरे हाथ हुए है जख्मी टुकड़ों को जोड़ने में।
मांगा था कल की दुआ में भी उसे,
चाहा है हमने हर रोज उसे,
वो ही ज़रा जल्दबाजी में थे,
उम्र भर साथ चलने के इरादे ना उनके थे।

