पति बना जनता आम
पति बना जनता आम
बीवी दिन भर इंतजार करतीं
जाने कैसे उसका दिन कटता
भला मजाल की समय निकाल
पति कोई भी बात करता
वो तो ठहरा दुनियादारी में ही
जो हंस हंस के मौज करें
बीवी तो सिर्फ इंतजार में गुम
अपने खुशियों की खोज करें
धीरे धीरे उसका रिश्ता
आखिर इस मुकाम पर आया
तलाक का कागज बीवी ने
पति के घर पर भिजवाया
कहां अब कुछ भी हो जाए
अपने मायके में ही रहूंगी
सवाल तुम्हारे हो या नहीं
जवाब में कुछ भी नहीं कहूंगी
अंत में आकर माफी मांग कर
वो सबके सामने खूब गिड़गड़ाया
और फिर जाकर मुश्किलों से
होश ठिकाने तब उसका आया
अब बारी बीवी की आयी
जब पति को वो गुलाम बनायीं
अब पति बन गया जनता आम
लोग कहने लगे उसे जोरू का गुलाम
