जीवन श्रोत
जीवन श्रोत
तू तो श्रोत है जीवन का, तेरी कोख में सृष्टि है,
जो समझे तुच्छ तुझको, उसकी सोच में त्रुटि है।
तू तो श्रोत है जीवन का…..
आँचल में है मोह का सागर, दामन में है संसार,
आँखों में प्यार का दरिया, मन में करुणा अपार,
तेरी साथ से पूरे हम, तेरे होने से अपनी हस्ती है,
जो समझे तुच्छ तुझको, उसकी सोच में त्रुटि है।
तू तो श्रोत है जीवन का…..
दो-दो घर का मान है तुझसे, एक में आए एक से जाए,
पल-पल अपना रूप बदले, बहन, बेटी, माँ कहलाए,
तू बिम्ब है दुर्गा का, तू ही काली, और तू ही सरस्वती है,
जो समझे तुच्छ तुझको, उसकी सोच में त्रुटि है।
तू तो श्रोत है जीवन का…..
