असफल प्यार(Prompt 12)
असफल प्यार(Prompt 12)
कितनी बातें करनी थी तुमसे
सब अधूरी की अधूरी रह गयी।
छोड़ गए मझधार में मुझको
मैं एक बेनाम कश्ती बन बह गयी।
किये थे वादे जो तुमने कभी
सब बेमानी हो रह गए।
जाने क्या खता हुई हमसे
अजनबी बन रह गए।
याद तो आज भी आती है
बस फर्क सिर्फ इतना है
मुस्कान की जगह
आँसू दे जाती है।
तोड़कर दिल मेरा
जाने तुमको कैसे
रातों को सुकून की
नींद आती है।
शायद किसी गलतफहमी ने
हमारे रिश्ते में जगह बनाई।
इसलिए ही हमारे रिश्ते की
टूटने की यूँ नौबत आई।
जानती हूँ अब कभी
मुलाकात ना होगी हमारी।
इसलिए दुआओं को ही अब
देती हूँ मैं यह जिम्मेदारी।