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Manju Umare

Drama

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Manju Umare

Drama

बारिश की बूंदें

बारिश की बूंदें

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ये पानी की बूंदें भी कितने रूप कितने रंग लिए होती है न

कभी धरती पर गिरकर प्रकृति को नवजीवन है देती

खेतों में गिरे तो किसानों का सुकून है बनती

नदी में गिरे तो अपने अस्तित्व को उसमें है खोती


आंखों से बह जाए तो सारे ग़मों को है बहाती

सांप के मुंह में जाकर विष वो बन जाती

सीपी के हृदय में गिरकर मोती वो बन जाती

जीवन ये हैं देती जीना यही सीखाती


कभी निर्माण करती संसार का

कभी विनाश का कारण है बनती

कोई यूं ही बहा देता बेवजह इन्हें

कोई इक इक बूंद को भी तरस जाता है


है ये वरदान उस ईश्वर का हमको

चलो आज ये संकल्प करें हम मिलकर

ज़रूरत से ज़्यादा पानी न हम बहाएं

पानी बचाओ ये अभियान जन जन पहुंचाएं।


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