ग़रीबी...
ग़रीबी...
निचोड़कर रख दिया है जिसे भूख ने
कैसे है उनके हालात ना पूछिए
लगा दी दांव पर लाज अपनी मजबूरियों में
क्या दे सकते हैं सौगात ये मत पूछिए
दुआओं के अलावा कुछ भी तो नहीं है उसके पास
भूखे पेट लिए फिरते हैं राहों में दर-दर
बेबसी ऐसी की शिकायत करें तो करें किससे
उस गरीब के बेचारगी के जस्बात ना पूछिए
निचोड़कर रख दिया है जिसे भूख ने
कैसे है उनके हालात ना पूछिए
वक्त ने मारा है शौक किसे है हाथ फैलाने का
कौन मारता है अपने ज़मीर को ऐसे
लगता है जैसे वो खुदा भी उनसे रूठकर बैठा है
उनके दर्द और तकलीफों का हिसाब मत पूछिए
निचोड़कर रख दिया है जिसे भूख ने
कैसे है उनके हालात ना पूछिए।