Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

Manju Umare

Inspirational

4  

Manju Umare

Inspirational

स्त्री...

स्त्री...

1 min
180


आशा का नित संचार करती वो

निराशा उसके आगे कहां है टिकती

जिंदगी को संवारने का हुनर है उसमें

पल भर में बिगड़ी बना देती वो


ईश्वर की पूजा सी पवित्र वो

रखती स्थाई सुंदर चरित्र वो

प्रेम से अपने पाषाण को जो पिघलाएं

मीठे बोलों से जो पिघल जाए


हर गुण में वो ढल जाए

प्रार्थना सी फल जाती वो

राधा, मीरा सा प्रेम करे वो

सीता, सावित्री का रूप धरे वो

कभी ममता की मूरत बनती


वक्त पड़े तो महाकाली का रूप धरे वो

बेटी, बहन, सखी, प्रेमिका, संगिनी और मां

जाने कितने रूपों में ढले वो

जीवन की नाव को वो पार लगाती है


हां वो स्त्री कहलाती है

हां वो स्त्री कहलाती है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational