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Manju Umare

Inspirational

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Manju Umare

Inspirational

स्त्री...

स्त्री...

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आशा का नित संचार करती वो

निराशा उसके आगे कहां है टिकती

जिंदगी को संवारने का हुनर है उसमें

पल भर में बिगड़ी बना देती वो


ईश्वर की पूजा सी पवित्र वो

रखती स्थाई सुंदर चरित्र वो

प्रेम से अपने पाषाण को जो पिघलाएं

मीठे बोलों से जो पिघल जाए


हर गुण में वो ढल जाए

प्रार्थना सी फल जाती वो

राधा, मीरा सा प्रेम करे वो

सीता, सावित्री का रूप धरे वो

कभी ममता की मूरत बनती


वक्त पड़े तो महाकाली का रूप धरे वो

बेटी, बहन, सखी, प्रेमिका, संगिनी और मां

जाने कितने रूपों में ढले वो

जीवन की नाव को वो पार लगाती है


हां वो स्त्री कहलाती है

हां वो स्त्री कहलाती है।


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