श़हीद
श़हीद
मां भारती के चरणों में जिसने अपना शीश नवाया है
खुशबू न भाती उसे चंदन की, उसने माटी का तिलक
लगाया है रिश्ता बस अपने वतन और अपने
फर्ज से जिसने निभाया है
करके स्वयं को समर्पित मातृभूमि पर
उसने अपना मान बढ़ाया है
देखो आज वो तीन रंगों वाले तिरंगे में लिपट कर आया है
मां से अधिक प्यार मातृभूमि के लिए आज उसने जताया है
अपनी हर सांस वो अपने वतन पर कुर्बान कर आया है
जीते जी जो कोई पा सका ना, उसने वह मुकाम पाया है
देखो आज वो तीन रंगों वाले तिरंगे में लिपट कर आया है
इस धरती पर जन्म लेने का उसने कर्ज चुकाया है
खुशनसीब है वह उसके लहू का कतरा कतरा
भारत माता के काम आया है
न फिक्र कल की न आज की उसे है
उसने हर फिक्र को जैसे हराया है
देखो आज वो तीन रंगों वाले तिरंगे में लिपट कर आया है।