STORYMIRROR

Manju Umare

Romance

4  

Manju Umare

Romance

नहीं जानना है मुझे...

नहीं जानना है मुझे...

1 min
279


बेझिझक हर बात को कहना कभी

तो सांसों को थामकर रुकना कभी उसका


अपनी ख़ामोशी से कत्ल करना कभी

तो शिकायतों के ढेर कभी लगाना उसका


रेत की तरह सूखा वो रहता कभी

तो बारिश जैसे कभी बरसना उसका


ताकता है एक टक नज़रों से कभी

तो झांककर भी कभी न देखना उसका


ख्वाहिशों के रंगों से सराबोर होना कभी

तो अंधेरों में कभी गुम हो जाना उसका


न मालूम है, न जानना है मुझे कभी।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance