अंतर में विश्वास जगाओ...
अंतर में विश्वास जगाओ...
स्वयं विधाता हो हे मानव !!
अंतर में विश्वास जगाओ
चलो ना मिटते पद चिन्हों पर
अपने रास्ते आप बनाओ
अपनी आत्मा ज्योति से पुलकित
अपने सुर स्वयं बन जाओ
स्वयं विधाता हो हे मानव!!
अंतर में विश्वास जगाओ
अनहद वह संसार सुने जो
संगीत की ऐसी राग बन जाओ
स्वयं विधाता हो हे मानव!!
अंतर में विश्वास जगाओ
आज तम है कल प्रकाश होगा
अंतर्मन में ऐसी ज्योति जलाओ
स्वयं विधाता हो हे मानव
अंतर में विश्वास जगाओ
तुमने वह अद्भुत शक्ति है बसी
धरती को अपनी स्वर्ग बनाओ
स्वयं विधाता हो हे मानव!!
अंतर में विश्वास जगाओ
प्रकृति ने मनुष्य जन्म दिया जो
शुभ कर्मों से उसका ऋण चुकाओ
स्वयं विधाता हो हे मानव!!
अंतर में विश्वास जगाओ