मेरी चाहत का दर्द
मेरी चाहत का दर्द
ए मेरी मोहब्बत को ठुकराने वाली एक दिन तुझे मेरी याद आएगी
रो रो के तकिया भिगाते हुए अपने सितम पर तू पछताएगी
ना सोचा था सुनके खनक सिक्कों की जां तू तवायफ भी बन जाएगी
दौलत नहीं है टिकाऊ सनम फिर तेरे घर कैसे टिक पाएगी
बाजारों में कीमत नगीनों की है जब तक चमक है तू बिक पाएगी
मुसाफिर है तेरी जवानी भी ये समय गुजरेगा ये भी ढल जाएगी
ए मेरी मोहब्बत को ठुकराने वाली एक दिन तुझे मेरी याद आएगी
रो रो के तकिया भिगाते हुए अपने सितम पर तू पछताएगी
गुनाहों का अपने जब इल्म होगा तू ख़ुद से ना नज़रे मिला पाएगी
हुसैन के सौदागर तुझे छोड़ देंगे बता फिर सनम तू कहां जाएगी
पन्नों पे दिल के जुबां मेरी लिख ले बाते तू वरना भूला जाएगी
मिलने तो मुझसे तू निकलेगी पर फिर ना मुझको तू टोह पाएगी
ए मेरी मोहब्बत को ठुकराने वाली एक दिन तुझे मेरी याद आएगी
रो रो के तकिया भिगाते हुए अपने सितम पर तू पछताएगी
चला जाऊंगा मैं जहां से तेरे कातिल तू खुद को मेरा पाएगी
दुनियां ये जंगल लगेगी तुझे और दिल ही दिल में तू घुट जायेगी
माफ़ी की खातिर ओ जाना मेरी मरघट में तू दौड़ती आयेगी
नाम अपना पढ़के कब्र पर मेरी सांसें थमेगी तू गिर जाएगी
ए मेरी मोहब्बत को ठुकराने वाली एक दिन तुझे मेरी याद आएगी
रो रो के तकिया भिगाते हुए अपने सितम पर तू पछताएगी

