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अभिषेक योगी रौंसी

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अभिषेक योगी रौंसी

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जय श्री श्याम

जय श्री श्याम

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ओ सांवरे मेरी इतनी सी अरज सुन ले

दीवाने को अपनी बाबा सेवा में रख ले


श्याम दीवानों को कोई हरा ना पाता है 

शरण में आया जो वो मौजें ही पाता है


बाबा तेरे तरानो को में झूम के गाता हूं

और श्याम दिवानों में भक्ति में जगाता हूं


याद है मुझको बिखरा था में तिनकों में

सब कुछ गवांया था मेंने चंद मिनटों में


ना मिला आसरा मुझको मतलब के अपनों में

तब दिया सहारा तूने आकर मुझे सपनों में


तुझको रिझाने को मन के फूल में लाया था

जीवन के झमेलों से में टूट के आया था


रोते भटकते श्याम में दरबार आया था

कुछ नहीं चढ़ाने को बस आंसू लाया था


भूला था में खुद को सबने इतना रूलाया था

दुनिया ने बिसराया तूने गले लगाया था


धन्य हुआ जीवन बाबा दर्शन पाकर के

तकदीर बदली तूने मोरछडी़ घुमाकर के


मैं झूठ नहीं कहता तुम जा कर के देखो 

दरबार में हाजरी तुम लगा कर खुद देखो 


वो दुख दर्द मिटा देगा सारे कष्ट हटा देगा

जीवन की नैया को बाबा पार लगा देगा


तुम उसके बन जाओ त्याग मोह माया को

वो सांवरा तुमको सेठों का सेठ बना देगा।


जय श्री श्याम हारे के सहारे की जय।


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