STORYMIRROR

Jyoti Astunkar

Abstract Drama

4  

Jyoti Astunkar

Abstract Drama

संतुलन

संतुलन

1 min
293


ये जगह है कुछ अनोखी

इंसानों से है अनदेखी

कहीं दूर से देखी है

पर पहुंच से परे है


ना ज़मी न आसमां

सिर्फ अपना है ये जहां

ठंडी हवा खुला आसमां

खिला खिला सा है ये समां


मिलकर बैठने की जगह

गपशप करने और खेलने की वजह

सुबह की हल्की सी धूप में

शोर मचाते उड़ जाने की जगह


हिलती हुई पगडंडी पर

करतब दिखाते पंछी

संतुलन का जीवन पाठ

सीखाते है सुंदर चहकते पक्षी।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract