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अनजान रसिक

Romance

4.5  

अनजान रसिक

Romance

भाषा आंखों की

भाषा आंखों की

1 min
390


आखों में मेरी छुपे है कुछ बोल कभी तो उनको सुन के देखो ना ,

अधरों से बात निकले बिन भी ह्रदय पटल को पढ़ लो ना .

मेरी खामोशी कई राज़ों का पर्दाफाश करती है ,

परदे के पीछे की प्रत्यक्ष दुनिया बहुत कुछ बयां करती है .

उन अनकही बातों को कभी तो समझ कर देखो ना ,

हम नादान आशिक़ तेरे , आखों से ही मेरे प्रेम को समझ लो ना.

आज लबों से कुछ ना बोलूंगी,शांत मन से बस तुमको निहारूंगी ,

जो तुमने समझा मूक मुझे,ना जाने कितने हिस्सों में बिखर जाऊंगी .

अश्कों में ह्रदय ये पिघलेगा,पर चुप्पी का आलम ना टूटेगा ,

प्रेम मन में दफ़न है जो, उसका राज़ नहीं खुल पायेगा .

कोई रंजिश ना होगी तुमसे ,ना कोई गिला फिर होगा,

दास्ताँ ए इश्क़ अधूरा रह जाएगा , दिल टूटेगा पर शोर ना होगा.

आखों में ख़्वाबों की नमी ज़िंदा ना रह पाएगी ,

जो राज़ समेटे हुए हैं , वो संभाल कर स्वयं ये बंद हो जाएंगी .

फिर दोबारा आखों से आखों की गुफ्तगू ना कभी हो पाएंगी,

मायूसी का आलम कुछ यूं छाएगा कि फिर कभी यें ना खुल पाएँगी,बस खो जायेंगी,

खो जायेंगी.....


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