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Dr Mahima Singh

Classics Inspirational

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Dr Mahima Singh

Classics Inspirational

माँ के बराबर कोई नहीं

माँ के बराबर कोई नहीं

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मांँ के बराबर कोई नहीं ,मांँ ही धरती मां ही अंबर।

धरती पर अमृत समान माँ का स्तनपान,

मां कराती स्नान देती संस्कार,

जिसने इस स्नान का कर्ज चुका दिया उसने समझो गंगासागर और संगम नहा लिया।


मांँ का पावन आंचल मेरा पीतांबर ,

सारी दुनिया के सुख पाती जब जब इस अंचल की छैया मैं पाती। 

मां का अंक मेरा सिंहासन।

 मांँ ही तपती धूप में विशाल बरगद 

मांँ मेरी हर संकट की संकट मोचक।

माँ ही मेरी चिकित्सक माँ ही मेरी ब्यूटीशियन, 

माँ ही मेरी डिजाइनर माँ ही मेरी सबसे बड़ी शिक्षिका।


माँ ही मेरी सबसे प्यारी सखी सहेली माँ ही मेरे चारों धाम, 

माँ को ही पूजूं ऑठो याम माँ ही मेरी 108 मनको की माला ,

माँ ही मेरे मंदिर और शिवाला मांँ के चरणों में समय सारे तीरथ।

भूल से भी हृदय माँ का मत दुखाना जीती है


जो सिर्फ तुम्हारे लिए सोई हुई भी जागी हुई सी केवल मां।

मां रूठे तो रब रूठे,भूल से भी मां का दिल न टूटे।

न चाहे वह बंगला गाड़ी न चाहे रुपया पैसा, 

 बस चाहे वो एक तेरा साथ और तेरे मीठे दो बोल।

मांँ के बराबर कोई नहीं ,माँ सा दूजा कोई नहीं


मां का नहीं कोई अन्य विकल्प इस अवनी पर नहीं ऐसा कोई भी कोना , 

जहां माँ न हो, मां का वजूद ना हो,

मां है सृष्टि के कण-कण में समायी,

यही तो वह दर है जहां बिन मांगे मिलती माफी,

 इसीलिए तो कहते हैं मां के बराबर कोई नहीं।


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