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Dr Mahima Singh

Inspirational

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Dr Mahima Singh

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निर्जला एकादशी

निर्जला एकादशी

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आओ करें अर्चन हरि का।

मंगल निर्जला एकादशी की बेला आई।

अंजन भर पावन छवि ईश की ,

कर में लेकर सुगंधित धूप दीप नैवेद्य ,

अर्पण कर पूजन करें लक्ष्मी नारायण पावन छवि की ।

मन को निर्जल कर,

भरे उसमें सुविचार का गंगाजल।

निर्जल निराहार रहकर करें उपवास ,

मन काया को तपा कर करें कुंदन ।

दान के पुण्य को अर्जित करे,

प्यासे की नव तापा में प्यास बुझाए।

चलो मीठे शरबत से भरा कलश दान करें ,

ले संकल्प राष्ट्रहित का संस्कृत के पालन पोषण का।

उपवास नहीं हो केवल अन्न जल का ,

करें उपवास कुविचारों कुरीतियों का ।

श्रद्धा सुमन से आओ सींचे बेल लोक संस्कृति की,

बनाए सनातन भारत को शुद्ध समृद्ध सुंदर विशाल। सत्यम शिवम सुंदरम हो हर मन ,

पंचवटी हर आनन कानन। भाई सहोदर मिले भरत लक्ष्मण से ,

धीया मिले जानकी लक्ष्मीबाई सी।

वंदन है हे! जगदीश्वर तुम्हें, दो आशीष यही,

 मां भारती की महिमा का यश गान गुंजे चहुं ओर।



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