निर्जला एकादशी
निर्जला एकादशी
आओ करें अर्चन हरि का।
मंगल निर्जला एकादशी की बेला आई।
अंजन भर पावन छवि ईश की ,
कर में लेकर सुगंधित धूप दीप नैवेद्य ,
अर्पण कर पूजन करें लक्ष्मी नारायण पावन छवि की ।
मन को निर्जल कर,
भरे उसमें सुविचार का गंगाजल।
निर्जल निराहार रहकर करें उपवास ,
मन काया को तपा कर करें कुंदन ।
दान के पुण्य को अर्जित करे,
प्यासे की नव तापा में प्यास बुझाए।
चलो मीठे शरबत से भरा कलश दान करें ,
ले संकल्प राष्ट्रहित का संस्कृत के पालन पोषण का।
उपवास नहीं हो केवल अन्न जल का ,
करें उपवास कुविचारों कुरीतियों का ।
श्रद्धा सुमन से आओ सींचे बेल लोक संस्कृति की,
बनाए सनातन भारत को शुद्ध समृद्ध सुंदर विशाल। सत्यम शिवम सुंदरम हो हर मन ,
पंचवटी हर आनन कानन। भाई सहोदर मिले भरत लक्ष्मण से ,
धीया मिले जानकी लक्ष्मीबाई सी।
वंदन है हे! जगदीश्वर तुम्हें, दो आशीष यही,
मां भारती की महिमा का यश गान गुंजे चहुं ओर।
