सुखद बदलाव
सुखद बदलाव
बदलती है आत्मा शरीर जीवन का अटूट सत्य
बदलाव है शुभ संकेत शुभता का,
नव निर्माण का नव संचार का।
बदलाव सुखद है ये बेहद,
बदली है परवाज सपनों की
बदली है देश की बयार बसंती,
बदले हैं खेत खलिहान ओढ़कर बसंती चुनर।
पढ़ रही है बेटियां बढ़ रहा है राष्ट्र ,
हो रहा है सुसंगठित समाज ।
एक मुट्ठी नहीं अब क्षितिज पूरा हमें चाहिए,
बुलंद भारत का बुलंद सूरज है चमकने को तैयार।
सुवासित सुसंस्कृत विचार भर रहे हैं रंग इंन्द्रधनुषी आचार और विचारो में।
नये बदलते भारत की तस्वीर भा रही लुभा रही चहुं ओर।
दे रहा लहू नए वक्त को आवाज कर रहा आगाज नये अंदाज से।
नयी सोच नयी बुलंदियों से ,
बदल रहा है भारत बदल रहे हैं हम।
बदलाव किंचित मात्र भी हो सुखद ही होता है ,
देखने का नजरिया मेरे दोस्त अपना अपना होता है।
