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Dr Mahima Singh

Inspirational

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Dr Mahima Singh

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नारी तेरा नहीं अन्य विकल्प

नारी तेरा नहीं अन्य विकल्प

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नारी तेरा नहीं कोई अन्य विकल्प,

तू चाहे तो पर्वत भी हिला दे,

 तू ज्ञाता सभी सांसारिक कलाओं की ,

कुल का मान बढ़ाने वाली

देश‌ का भाग जगाने वाली।

 तुम चौसठ कलाओं की ज्ञाता,

तुम अटल सुंदरी माननी

पर कोमल हृदय की ठहरी तुम ।

गार्गी, मैत्रैयी घोषा, विश्ववारा, अपाला ,

अदिति लोपामुद्रा, सूर्या, सावित्री सभी विदुषियों का ,

तेज वाक्-चातुर्य है आज भी प्रासंगिक ।

सावित्री का है आज भी अमिट उदाहरण ,

बुद्धि कौशल व प्रचंड संकल्प के बल बूते पति को निकाल लाई थी,

जो मृत्यु के मुख से।

रखती है आज भी सुहागिनें वट सावित्री व्रत ।

राधा मीरा का पावन प्रेम यही ,

सीता का त्याग और धैर्य

यही,

जीजाबाई सी माँ यही ,

पद्मावती का जौहर यही ।

रानी लक्ष्मीबाई की वीरता है

यही ,पन्नाध्याय का त्याग भी यही

अनगिनत कहानियां क्या-क्या बाधूं

शब्दों में कण कण में है नारी तेरी ही महानता समायी,

ऐसा क्या है जो तू ना कर पाए।

होता नहीं नारी का सम्मान जहां,

 वहां है सब कुछ व्यर्थ। आज तुम्हें हुआ क्या है ?

हुयी पढ़ी-लिखी पर फिर भी भ्रमित ,

नहीं अपने अस्तित्व का रहा भान तुम्हें।

पढ़ लिख जो गई तो देश, समाज के

भविष्य को जागरूक नागरिक तुम प्रदान करती।

पर क्यों हो तुम अब भटकी सी,

 जागो पहचानो अपनी शक्ति ,

अपनी पहचान करो बुलंद। 

पर मत पढ़ना कमजोर किसी के समक्ष,

 मत देना अवसर जो कोई आकर तुम्हारा फायदा उठा ले जाए।

तुम्हारे कोमल मन से खेले रहो सजग, करो मनन।

 चलो भरो ऊंची उड़ान ,

तुम बनी हो राष्ट्र को बनाने के लिए।

लो दृढ़ संकल्प स्वयं पढ़ो और कढ़ो,

निज कुल , राष्ट्र का तुम गौरव गान उन्मुक्त कंठ से गाओ,

कीर्ति पताका ऊंची फहराओ।

स्वयं शिक्षित बनो और भावी पीढ़ी को भी तुम सुशिक्षित संस्कारवान बनाओं।



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