स्नेह की डोर
स्नेह की डोर
दिल से शुक्रिया कहे उनको,नवाजे प्यार से उनको,
खबर जो हमारी, सुबह शाम रखते है।
उलझनों की कश्ती मे बिठा कर प्यार से हमको,
अपने सुकून के लिए आहें भरते हैं।
जख्मों पर कटीला वार करके वो,
बैचेन बोझल मुस्कुराहट के नकाब पहने फिरते है।
मुझे वह भी प्यारे हैं, जो हर चर्चा मे मेरा ही नाम रखते हैं।
मेरे मित्रों को लगता है कि वे बदनाम करते हैं।।
जो पग-पग में बाधा, खड़ी करने से खुश होते हैं,
उन्हे शुक्रिया हम सुबहो शाम करते है।
हमारा हौसला बुलंद होता वो जब षड्यंत्र रचते हैं।।
मजा आता है प्यारे, वो हमे नाकाम करने की करते हैं।।
बिना मंजिल जो जीवन जी रहे, कुछ भी नहीं करते।
उन्हें साजिश से फुर्सत है कहां, हम काम करते हैं।।
मुझे मिलती है, नयी मंजिल हम लक्ष्य को बढ जाते ।
जिन्हे करना है, कुछ काम, वही, सचमुच मे नाम करते हैं।।
जो समझाना नहीं चाहते, सुलग सकते हैं वे सुलगें।
बनाती हूं सड़क मैं, लोग सड़कें जाम करते हैं।।
उन्हें तकलीफ होती है, सच्चाई जब उगलती हूं।
वह क्यों भूल जाते हैं, जो दिल के घाव को अक्सर नासूर करते हैं।।
बहुत कुछ है जमाने में, चलो कुछ कर लिया जाऐ।
बढ़ेगा देश उनसे ही जो, श्रम सुबह से शाम करते हैं।।
करेंगे कुछ नहीं केवल, ढिंढोरा पीटने वाले।
वे हैं बहुरूपियें जो, राम और इस्लाम करते हैं।
बनो देशप्रेमी, मजहब से नहीं प्यारे, रब का
सजदा हम बार-बार करते हैं।
इंसानियत मजहब अपना इंसानों से प्यार करते है।
