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हरीश कंडवाल "मनखी "

Classics

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हरीश कंडवाल "मनखी "

Classics

#आकाश है मेरे लिए#

#आकाश है मेरे लिए#

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माँ बेटी हूँ तो क्या हुआ, संतान तो हूँ कहने के लिये

बेटा नहीं बन पायी मैं, बहुत हूँ सहारा देने के लिए।


मैं भी तो हँसती खेलती हूँ, तुम्हे खुश करने के लिए

बेटी हूँ मैं , यह काफी नही, दुनिया को बताने के लिए।


पापा मैं भी तो आपका नाम रोशन कर सकती हूँ

 मैं भी इस दुनिया से आपके लिये लड़ सकती हूँ।


पापा पैर रखने के लिये धरा है, बढ़ने के लिये हौसलें

परी हूँ आपकी उड़ सकती हूँ, पूरा आसमा है मेरे लिए।


गर्व करो मैं बेटी हूँ, हर पल खुशी होगी जताने के लिए

हम भी आधी दुनिया है, यह काफी है, बताने के लिये।


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