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HARISH KANDWAL

Classics

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HARISH KANDWAL

Classics

उस दिन

उस दिन

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360


उस दिन ऐसा हुआ, इस दिन ऐसा होगा

वह पल अच्छा था, वह वक्त कैसा होगा

अतीत के कुछ पल, भविष्य की उम्मीदे

इन्ही के बीच तझूलती है आम जिंदगी।।


काश उस दिन मैंने यह कर लिया होता

उनसे यह कह दिया या पूछ लिया होता

उस दिन मैंने थोड़ा सब्र कर लिया होता

ऐसा कर लिया होता में गुजर जाता है वक्त।


उस दिन सोच लिया होता, तब निर्णय लेता

उस दिन एक दूसरे को समझ लिया होता

उस दिन वह मौका फिर मिल गया होता

शुरु से अंत तक उस दिन को भूला देता।


जो हुआ अच्छा हुआ कहकर समझा लेना

उस दिन को भला बुरा मानकर खुद बचना

उस दिन की किस्मत को हमेशा कोसते रहना

भाग्य के भरोसे रहकर पूरा जीवन काट लेना।


उस दिन से इस दिन तक का सफर जिंदगी

चलती फिरती सांसो की गिनती है जिन्दगी

दो पल का मेला चार पल का झमेला है सब

आखिरी दिन साँसों की डोर टूटने तक है जिंदगी।


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