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Hitesh pal

Classics

3  

Hitesh pal

Classics

मेरा गाँव

मेरा गाँव

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मुझे अब गाँव याद आ रहा है

पैडों का छांव याद आ रहा है

खेतों का खलिहान याद आ रहा है

बाग़ों का बहार याद आ रहा है

मुझे अब गाँव याद आ रहा है।


माँ का दुलार याद आ रहा है

पिता का प्यार याद आ रहा है

नमक रोटी का स्वाद याद आ रहा है

कुआँ का वह जल याद आ रहा है

मुझे अब गाँव याद आ रहा है।


शहर की रोशनी में भी मुझे

दीये का प्रकाश याद आ रहा है

शहर की मस्ती मे भी मुझे 

गाँव का त्योहार याद आ रहा है

मुझे अब गाँव याद आ रहा है।


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