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Rita Jha

Abstract Classics

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Rita Jha

Abstract Classics

बस इतना बता दो

बस इतना बता दो

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हुई क्या खता मुझसे, बस इतना बता दो।

बात करो ज़रा तुम मुझसे, मत ऐसी सज़ा दो।

दिल दीवाने को कभी अपने बोल से बहला दो 

गुमनामी के सारे में न हमारे प्रीत को छिपा दो।


हुई क्या खता मुझसे, बस इतना बता दो।

कहते थे कल तक चाँद तारे तोड़ लाऊँगा,

तुझे साथ लेकर मैं सारी दुनिया घुमाऊँगा।

जाने कैसे भूल बैठे अपने ही किये वादों को!


हुई क्या खता मुझसे, बस इतना बता दो।

नहीं चाहिए दौलत, शोहरत जो तुम पास रहो।

कुछ पल निकालो एक दूजे के संग में बिताएं।

दो पल की जिंदगी, अब न तन्हा जिया जाय।


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