सीता
सीता
सीता पुत्री जनक की, लव-कुश की थी माई।
छाया थी वो राम की, वन में पीछे आई।।
वन में पीछे आई, कि रावण ने चुराया,
ले जा करके उनको , लंका में छुपाया।।
कहत कवित्री कलिका, लंका को था जीता,
लौटे राम अयोध्या, साथ में लेकर सीता।।
सीता बनी थीं राम के, जीवन का आधार ,
वही बनीं थीं रावण के ,पतन का मूलाधार,
पतन का मूलाधार बनी थी कोई नारी,,
कलयुग में नर ने बनाया , इसे बिचारी ,
कहत कवित्री 'कलिका' किसने किसको जीता l
राम को फिर से पाकर भी हारी थी सीता ll"