रात पूनम की
रात पूनम की
प्रतीक्षा है ...उस घड़ी की,
जब बादलों के घूंघट को सरकाकर,,
पूनम का चांद झांकेगा धरा पर।
भर देगा चांदनी विमल व्योम में,
मावस के घने अंधकार को हटाकर।।
सोचती हूं मैं... इंतजार का यह,
लंबा समय कैसे कटेगा?
हर झोली में आएंगे रोशनी के कतरे,
प्यार का अमृत बँटेगा?
शरद मास की शीतलता ओढ़,
पूनम की रात डोलेगी।
कटोरे में रखी खीर में,
मधु-अमृत घोलेगी।।
चंद्रमा की चंचल किरणें,
व्योम को कर देंगी धवल।
शीतल मंद समीर बहेगी,
कण-कण होगा उज्ज्वल।।
