सवाल भोर के
सवाल भोर के
आँख में आँसू भरे भोर ने, माँ रजनी से ये बोली।
बाल उमरिया में सूरज संग, क्यों भेजी मेरी डोली?
चहक रही थी पर्वत घाटी,
ओढ़ कुहासा की चूनर,
महक रही थी, कभी कमल को
कभी कुमुदिनी को छूकर,
अलबेली मैं खेले थी, बादल के संग आँख मिचोली।
आँख में आँसू भरे भोर ने, माँ रजनी से ये बोली।।
चंदा, तारे आंचल में क्यों,
हमरे सारे टाँक दिए।
बिटिया को कर दिया पराया,
बंधन तन से बाँध दिए।
अलसाई सी, अभी नींद में, अँखियाँ मैंने, थीं, खोलीं।।
बाल उमरिया में सूरज संग, क्यों भेजी मेरी डोली?
किरनों ने है मुझे सजाया,
माँग सजाई फूलों से।
बचपन में ही दूर कर दिया,
शीतल हवा के झूलों से।
गर्म हवा के झोंकों की, दुपहर अब है हमजोली।।
बाल उमरिया में सूरज संग, क्यों भेजी मेरी डोली?
आँसू मेरी आँख से गिरकर,
चमक रहे बनकर शबनम,
सर-सर हवा सुनाती मेरे,
मन की पीड़ा की सरगम,
दोष किसे दूँ, जाने किसने, जीवन में, कटुता घोली।
बाल उमरिया में सूरज संग, क्यों भेजी मेरी डोली?
