दीपोत्सव का 'एक दीया' ---
दीपोत्सव का 'एक दीया' ---
ज्ञानरूपी प्रकाश का उत्सव, देखो !
आ गया दीपों का उत्सव 'दीपोत्सव'।
जगमग करतीं घर- आँगन- गलियाँ,
प्रकाशमान दिखती हर फूल खिलतीं सब कलियाँ।
एक दिया प्रेम का अपने दिल में भी जलाएँ !
नफरत, द्वेष मिटाकर सबको
सद्भाव से हम गले लगाएँ।
एक दीया उन वीर सपूतों के नाम,
जिन्होनें अर्पित किया अपना जीवन देश के नाम।
उन गुरुजन के नाम भी आदर का एक दीप,
जिनके बदले हो रहा हमारा जीवन प्रदीप।
एक दीया उन गरीब-असहायों के
घर भी जलाएँ।
उनके जीवन में भी खुशियों
की सौगात हम पहुँचाए।
एक दीया उन कर्मठ अन्नदाता के नाम।
जिनके खून- पसीने की परिश्रम से
स्वादिष्ट पकवान का आनंद चख पाए !
उनके घर भी एक दीया जलाएँ।
सूखे होठों पर उनके भी
उम्मीद का लेप लगाएँ।
एक दीया उन सच्चे दोस्तों के नाम,
जिनके साथ होने से सबकुछ लगता आसान।
जिन्होनें पग - पग पे हमारा साथ निभाया।
दिल को सुकून मन को शांति पहुँचाए।
उनके नाम भी एक दीया जलाएँ।
एक दीया उस माँ और मातृभूमि के नाम
जिन्होनें गर्भ में और गर्भ के बाहर
हमारी ध्यान रखी हर पल आठों दिन- याम।
आओ उनके नाम भी स्नेह भरी एक दीया जलाएँ।
एक दीया उन सभी जीव- जंतु प्राणियों के नाम।
जो बनाते हैं हमारा जीना आसान।
हर लेते हैं वो सारी बलाएँ।
आओ उनके नाम भी एक दीया जलाएँ।
ज्ञानरूपी प्रकाश का उत्सव। देखो !
आ गया जगमग प्रकाशमान
दीपों का उत्सव दीपोत्सव।।