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Dr Hoshiar Singh Yadav Writer

Classics

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Dr Hoshiar Singh Yadav Writer

Classics

साथ साथ चलते चलते

साथ साथ चलते चलते

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साथ साथ चलते चलते,हो गये जुदा,

देख देख अदा उनकी, हो गये फिदा,

ऐसा वक्त कभी जब आता,होता दर्द,

दुख में हँसते रहते, अजब होती अदा।


साथ साथ चलते चलते,खो गये कहां,

तुम जिस जगह चले गये,आएंगे वहां,

लाख कोशिश करने वाले,गिरते जरूर,

जाना होता एक दिन छोड़कर ये जहां।


साथ साथ चलते चलते,नजर न आये,

कभी कभी अपने भी,बहुत ही रुलाये,

दुश्मन भी कभी कभी, बनते हैं साथी,

पर वो सच्चा दोस्त,जो रोते को हँसाये।


साथ साथ चलते चलते,दे गये धोखा,

दुष्ट तो ढूंढते रहते,कब आएगा मौका,

भेद कभी दुष्ट को, कभी नहीं बताइये,

हर जगह दिखाई दे,कहलाता अनोखा।


साथ साथ चलते चलते, वो गिर पड़े,

सच्चे साथी हरदम, मिलते सदा खड़े,

सच्चे और झूठे, दो प्रकार के हैं लोग,

सच्चे साथी सदा मिले दिल से अड़े।


साथ साथ चलते चलते, जाएंगे घर,

एक से एक मिले तो, नहीं कोई डर,

डर लगे तो करना चाहिए प्रभु भजन,

आइये अब बोल दे मुंह से हर-हर।


साथ साथ चलते चलते, संग में रहो,

इतमीनान से रहो अलविदा ना कहो,

सम रहना चाहिए, बुरा वक्त टलेगा,

कभी इस जग में विचारों में न बहो।


साथ साथ चलते चलते,आया है दिन,

दर्द ही दर्द मिलता,तारे रहे अब गिन,

बुरा भला वक्त भी आकर चला जाए,

इंसान का मत जगाओ,अंदर का जिन।।


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