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Nirdosh Jain

Classics

4  

Nirdosh Jain

Classics

विदाई ..2

विदाई ..2

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बचपन से तुझे पाला हमने, 

मेरी लाडो बिटिया सुनलेना।

ससुराल में जाकर के बिटिया, 

मेरी पगड़ी की लाज तू रख लेना।।


बचपन से तुझे पाला हमने, 

फूलों की तरह कलियों की तरह।

उस घर कॊ स्वर्ग बना देना, 

राधा की तरह कान्हा की तरह।। 


सास ससुर में बेटा लख लेना, 

पापा की तरह मम्मी की तरह।

ननद देवर कॊ गले लगा लेना, 

भइया की तरह बहना की तरह।।


इस आँगन में तू कली खिली, 

उस आँगन फूल खिला देना।

इस आँगन में तू पली बड़ी, 

उस आँगन धूम मचा देना।


यहाँ पापा मम्मी का लाड़ मिला, 

वहाँ सास ससुर पे लूटा देना।

यहाँ भाई बहन का प्यार मिला, 

वहाँ ननद देवर पे लूटा देना।


यहाँ चाचा ताऊ का लाड़ मिला, 

वहाँ सबकी लाड़ली बन जाना।

वहाँ प्यार की गंगा बहा देना, 

तुम सबकों अपना बना लेना।।


एक बात कहूँ तुमसे लाड़ो, 

 इस बात कॊ ध्यान में धर लेना।

 उस घर की माला के मोती, 

तुम कभी ना बिखरनें देना।


उस घर के आँगन में लाडो, 

कभी दीवार नहीँ होने देना। 

 सब मिलकर रहना एक साथ, 

 वहाँ प्यार की गंगा बहा देना।

 तुम सबकॊ अपना बना लेना॥ 

 

अंत में है प्रभु से अर्ज यही, 

तेरा सदा सुखी रहे, 

जा सदा सुखी संसार रहे, 

जा सदा सुखी संसार रहे।

इस घर की तरह उस घर में भी, 

सदा तेरा गुण गान रहे। 


 बाबुल की दुआएँ लेती जा, 

 जा तुझे सुखी संसार मिले, 

 जा तुझे सुखी संसार मिले।


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