शराब
शराब


शराब हैं जहर तो क्यों , पी रहे हैं लोग
शराब के बगैर भी तो , जी रहे हैं लोग ॥
शराब बेचना माना , मजबूरी मुल्क की
पर ये जहर क्यों , खरीद रहें हैं लोग ॥
आज के हालात जो , मंदिर भी बंद हैं
पर मदिरालय मे ,भीड़ लगा रहे हैं लोग ॥
हमको समझ में आजतक , आया नहीँ हैं ये
क्यों शराब की खातिर , जान गंवा रहे हैं लोग ॥
शराब है खराब , ये जग विख्यात है
फिर क्यों आफत , गले लगा रहे हैं लोग ॥
घर
कॊ देख लो ' बीवी बच्चों कॊ देखलो
क्यों शराब पर दौलत , लूटा रहे हैं लोग ॥
निर्दोष शराबीयों का , ये .हाल देखलो
मौत कॊ गले केसे , लगा रहे हैं लोग ॥
शराब की दुकानों में ये भीड़ देखलो
कोरोना का कहर भी , भूल जा रहे हैं लोग ॥
शराब पी शराबीयों का , हाल देखलो
सड़क पर ही गिरे पड़े ,नजर आरहे है लोग ॥
शराब पी क्या क्या , गुल खिला रहे हैं लोग
माँ बहन कॊ भी भुलाते , जा रहे हैं लोग ॥