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Nirdosh Jain

Tragedy

4  

Nirdosh Jain

Tragedy

शराब

शराब

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573


  शराब हैं जहर तो क्यों , पी रहे हैं लोग 

  शराब के बगैर भी तो , जी रहे हैं लोग ॥ 


  शराब बेचना माना , मजबूरी मुल्क की 

  पर ये जहर क्यों , खरीद रहें हैं  लोग ॥ 


  आज के हालात जो , मंदिर भी बंद हैं  

  पर मदिरालय मे ,भीड़ लगा रहे हैं लोग ॥ 


 हमको समझ में आजतक , आया नहीँ हैं ये 

 क्यों शराब की खातिर , जान गंवा रहे हैं लोग ॥ 


 शराब है खराब , ये जग  विख्यात है 

 फिर क्यों आफत , गले लगा रहे हैं लोग ॥ 


  घर कॊ देख लो ' बीवी बच्चों कॊ देखलो 

 क्यों शराब पर दौलत , लूटा रहे हैं लोग ॥ 


 निर्दोष शराबीयों का , ये .हाल देखलो 

 मौत कॊ गले केसे , लगा रहे हैं लोग   ॥

   

  शराब की दुकानों में ये भीड़ देखलो 

  कोरोना का कहर भी , भूल जा रहे हैं लोग ॥    


  शराब पी शराबीयों का ,  हाल देखलो 

  सड़क पर ही गिरे पड़े ,नजर आरहे है लोग ॥ 


 शराब पी क्या क्या , गुल खिला रहे हैं लोग 

  माँ बहन कॊ भी भुलाते , जा रहे हैं लोग   ॥ 


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