शीर्षक- मैंने देखा है
शीर्षक- मैंने देखा है
मैंने वादा कर लोगो को
मुश्किल घड़ी में छोड़ जाते देखा है
मैंने उसूलों पर चलने वालों को बेबस
और बेईमान को
अकड़ दिखाते देखा है
लोगो को करोड़ों का
मंदिर मस्जिद बनाते देखा है
और गरीबों को सड़कों पर
सोता देखा है
मैंने कुत्तों को खाते
और गरीब लोगो को
भूख से मरते देखा है
सपने लिए लड़की को
घर बैठे और बिना लक्ष्य के
लड़के को स्कूल जाते देखा है
मैंने लोगों से काम से नहीं ,
मतलब के काम से
रिश्ते बनाते देखा है
लोग औरत को कमजोर कहते है
और उसी औरत को
दो- दो घरों को चलाते देखा है
