भस्मासुर
भस्मासुर
क्रूर असुर था भस्मासुर नाम का
अहंकार उसे था अपने कर्म का
संपूर्ण संसार पर वह राज
करना चाहता था पृथ्वी पर
भस्मासुर ने शिव की घोर
तपस्या की
शिव प्रकट हो गए उसके सामने
उसकी तपस्या से ख़ुश होकर
शिव प्रकट जब हुए उसके सामने
वर मांगने में उसने देर न की
शिव ने उससे घोर तपस्या का
प्रयोजन पूछा
वह बोला में संसार में
अमृत्व को पाऊं
कोई मुझे ना मार सके
मैं चिरंजीवी हो जाऊंँ
भगवान शिव ने कहा उससे कि
जो इस सृष्टि में आया है
उसकी मृत्यु अटल है
तुम्हारे वरदान में ही
सबसे बड़ी रुकावट है
जो इस सृष्टि में आया है उसका
जन्म मरण तिथि निश्चित है
भस्मासुर ने बड़ी चालाकी से
वरदान को बदल दिया
कहा शिव को उसने की
मैं जिस पर हाथ रख दूं वह
भस्म हो जाए
शिवजी ने वरदान में उसको
यह वरदान दे डाला
कि वह जिसके सर पर हाथ रखे
वह भस्म हो जाए
वरदान पाकर
क्रूर असुर भस्मासुर ने शिव को ही
भस्म करना चाहा
शिव अपनी जान बचाने हेतु
गुप्त गुफा में दूर जा बैठे
शिव ने भगवान विष्णु से भस्मासुर से
बचने का उपाय पूछा
भगवान विष्णु ने भस्मासुर
वध हेतु
मोहिनी स्त्री का रूप धरा
सुंदर स्त्री को देख मोहनी
भस्मासुर ने उसके सामने
विवाह करने का प्रस्ताव रखा
मोहिनी ने कहा जो नृत्य में
मुझ सा प्रवीण हो
यदि तुम मेरे जैसे नृत्य
में प्रवीण हो
मैं तुमसे विवाह कर लूंगी
काम के वशीभूत भस्मासुर ने
मोहिनी के संग नृत्य किया
इतने में विष्णु मोहिनी ने अपने
सर पर हाथ रखा
नृत्य देखकर भस्मासुर ने अपने
सर पर हाथ रख दिया
बस हो गया भस्मासुर स्वयं भस्म
इस तरह जान बची शिव की
शिव ने मोहिनी विष्णु का ख़ूब
आभार किया
ऐसे वृकासुर का नाम भस्मासुर पड़ा।
