मौसम और जीवन
मौसम और जीवन
थोड़ी सी बरसात के संग थोड़ी मुलाकात
ये कैसी जीवन के रंगों में है थोड़ी खुराफात
ये बारिश की बोछारें सुरज से रूबरू होकर
जीवन में संतरगी मौसम भरकर चली जाती है।
ये मौसम मानसून का जरा सा रूठा है
पश्चिम की हवा ने ये जो रुकावट डाली है
मौसम की तपन ही बनती बारिश की बनावट
इसलिये जीवन में मौसम का हर एक मिजाज जरूरी है।
ये मन थोड़ा सा बेमन हो बना बनावटी है
इसने अपने मन की उदासी मन में समाई है
ये धूप और बारिश ने कैसी शत्रुता निभाई है
बारिश के जाने के बाद धूप हंसकर खिलखिलाई हैं।
ये मन भ्रमित है इसने भ्रमर सी गति जो पाई है
बैचेन होकर पल में इसने अपनी पहचान चाही है
बारिश का क्या है ये तो बादलों की मेहरबानी है
पहचान बारिश को दिलाकर इसने अपनी देह मिटाई है।
ये पहचान किसी के सहारों पर नहीं बनती
ये पहचान कुछ आहटों को भूल जाती है
जरा सी जरुरत में बहाने बनाने की आदत से
ये अपनी पहचान धीरे धीरे मिटती जाती है।
बारिश और धूप के तालमेल से
फसलों से अच्छी उपज हो पाती है
साजिश और जिद के तालमेल से
फासलों की दरार बडी़ होती जाती है।