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PRATAP CHAUHAN

Abstract Classics Inspirational

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PRATAP CHAUHAN

Abstract Classics Inspirational

दीवाना रव

दीवाना रव

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बिन तेल दीया भी बुझता है, 

हर बार हवा का दोष नहीं।


ठोकर खाकर भी गिरते हैं,

हरदम फिसलन का दोष नहीं।


खुद का दोष नहीं दीखे,

तो अन्धकार का दोष नहीं।


यदि रव ही रूठ गया हो तो,

किस्मत का कोई दोष नहीं।


माया का जग दीवाना है,

कौन है जो मदहोश नहीं।


मैं तो था दीवाना रव का,

रव रूठ गया मुझे होश नहीं।


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