ये नसीब ही है साहब, जो अपनी होकर भी गैरों जैसा सलुक करती है।
मां, एक ऐसा शब्द है जिसको जितना पढ़ा जाए उतना ही कम है। मां, एक ऐसा शब्द है जिसको जितना पढ़ा जाए उतना ही कम है।
फिर भी हम गांव को शहरों में बदलने की क्यों सोच रहे है। फिर भी हम गांव को शहरों में बदलने की क्यों सोच रहे है।
छोड़ दीजिये आवारगी आवारगी में क्या रखा है। छोड़ दीजिये आवारगी आवारगी में क्या रखा है।