जीवन का सार - कविता
जीवन का सार - कविता
मन की व्यथा की गूंज।
ह्रदय में चुभा कोई शूल।।
प्रीत की मदमस्त मधुर धुन।
प्रफुल्लित घुंगरू की झूम।।
भाव विभोर पलों की साक्षी।
दुर्भाग्य विफल की सारथी।।
एकांकी मन की साथी ।
अधूरे सपनों को संवारती।।
अपार ममत्त्व का आंचल।
कांपते हृदय का संबल।।
तेजस्वी के लहू का तर्पण।
वीरता के गाथा का चित्रण।।
सहसा होने वाला एहसास।
तेरे मेरे बीच का सुहास।।
मनु मस्तिष्क का आश्चर्य।
सहज मुस्कान का तात्पर्य।।
अनसुलझी पहेलियों का प्रश्न ।
युद्धस्थल पर अर्जुन की कृष्ण ।।
उस रचेयिता से होता साक्षात्कार।
पौराणिकता का अमिट हस्ताक्षर।।
थके हुए पथिक कै लिए नीर।
कुंठित कलेजे के लिए समीर।।
छलकते नैनो का मोती।
बुझती आसों के लिए ज्योति।।
उमड़ते वेघों का तूफान।
देहकती ज्वाला का शीतल समाधान।।
अहम पर सटीक प्रहार।
वंचित के लिए हथियार।।
शब्दों का अचूक बाण।
दिव्यता की भव्यता का परिमाण।।
दृढ़ संकल्पों का अर्जन।
प्रगतिशील समाज का सृजन।।
हृदय के तारों को झंझोड़ता नाद।
अभिलाषी का उन्माद।।
अतृप्ति की बेबाक खीज।
मरुस्थल में उपजता बीज।।
सूखी शाखों पर ओस की बूंद।
कीचड़ में कस्तूरी की सूंघ।।
जकड़ी आशाओं की मुक्तिधार।
कल-कल बहती नदी का आधार।।
मुरझाई पंखुड़ियों का गुलकंद।
सूखी धरती पर वर्षा की सुगंध।।
रौंदी हुई मिट्टी की सुराही।
मेले हुए कपड़ों की धुलाई।।
ठुकराए अस्तित्व की प्रहरी।
भूली यादों की कहानी सुनहरी।।
ज्ञानियों के जीवन का निचोड़।
मानवता को जोड़ती एक डोर।।
समाज की मज़बूत सिलाई।
दूरदर्शी ख्यालों की मिलाई।।
असहजता में सहजता का प़करण।
प्रबुद्ध अभिव्यक्ति का अनूठा दर्पण।।
कल के ज्ञान से कल का बीज सींचती गागर।
अमूल्य धरोहर को संज्योता सागर।।
कल को कल से मिलाती सूत्रधार है कविता।
जगजीवन का अनुपम सार है कविता।।
